अंकशास्त्र: क्या अंकों पर ग्रहों का प्रभाव होता है?

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महावीर सांगलीकर

Senior Numerologist & Graphologist
Cell Phone 8149128895

अंक और ग्रह: क्या अंकों पर ग्रहों का प्रभाव होता है?

अंकशास्त्र के बारे में पढते समय आपने कई बार पढ़ा होगा कि अंकों पर ग्रहों का प्रभाव होता है. जैसे कि अंक 1 पर सूर्य का प्रभाव होता है, अंक 2 पर चंद्र का प्रभाव होता है, आदि. लेकिन वास्तव में अंकों पर ग्रहों का किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं है. अंकशास्त्र का अध्ययन करने वाले सभी लोगों को इस बात को पक्का जान लेना चाहिए.

वास्तव में अंकों पर ग्रहों के प्रभाववाली बात वह लोग करते है जो खुद ज्योतिषी है या ज्योतिषशास्त्र से प्रभावित हैं, या जिन्होंने ज्योतिषियों से अंकशास्त्र सीखा है.

अंकों के अपने खुद के व्हायब्रेशन्स होते है, और उन व्हायब्रेशन्स का हर व्यक्ति पर परिणाम होता रहता है. हर व्यक्ति से संबंधित कई अंक होते हैं, जैसे कि उसके जन्म तिथि से निकलने वाले अंक (मूलांक, ऍटिट्यूड नंबर, भाग्यांक, वर्षांक आदि); उसके नाम से निकालने वाले अंक (नामांक, हार्ट’स डिझायर नंबर, पर्सनॅलिटी नंबर आदि).

इनके अलावा कई बाहरी अंक भी होते हैं (जैसे मकान का नंबर, गाडियों के नंबर्स, फोन नंबर्स, आधार कार्ड नंबर, पॅन कार्ड नंबर आदि). यह सब अंक संबंधित व्यक्ति से चिपके हुए होते है. इन सब अंकों का संबधित व्यक्ति पर गहरा प्रभाव पड़ता रहता है.

इसके उल्टे सभी ग्रहगोल धरती से लाखों-करोडों किलोमीटर्स दूर होते हैं. उनका किसी व्यक्ति पर प्रभाव पडता हो ना हो, लेकिन अंकों पर किसी भी प्रकार का प्रभाव पडने का सवाल ही नहीं उठता.

अंक कोई जड चीज नहीं है, जिस पर किसी दुसरे जड वस्तुओं का प्रभाव पड सके. इसलिए ‘क्या अंकों पर ग्रहों का प्रभाव होता है?’ इस प्रश्न का उत्तर है, ‘बिलकुल नहीं’. इसके उलटे जड चीजों पर अजड (अमूर्त) वस्तुओं का जरुर प्रभाव पडता है. जैसे कि गुरुत्वाकर्षण, रेडिओ वेव्हस, तापमान आदि.

अंक और ग्रह

इस बात को ठीक से जान लेना चाहिए कि ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को अंक दिए हैं, ना कि अंकों को ग्रह दिए गए है. चूं कि पृथ्वी के निवासियों के लिए सूर्य सब से जादा महत्व पूर्ण है, सूर्य सबका बॉस है, और बॉस को पहला स्थान होता है, इसलिये सूर्य को 1 यह अंक दिया गया है. इसी प्रकार पृथ्वी के निवासियों के लिए सूर्य के बाद चंद्र महत्वपूर्ण है, इसलिये चंद्र को 2 यह अंक दिया गया है.

इसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में अन्य ग्रहों को भी अंक दिए गए है, लेकिन इस बारे में ज्योतिषियों में आम सहमति नहीं है. जैसे कि कुछ ज्योतिषी राहू के लिए अंक 4 देते है, जब कि कुछ ज्योतिषी युरेनस के लिए यह अंक देते हैं. इसी प्रकार कुछ ज्योतिषी केतु के लिए अंक 7 देते है, जब कि कुछ ज्योतिषी नेपच्यून के लिए 7 यह अंक देते हैं. अब सवाल यह उठता है कि अंक 4 से प्रभावित व्यक्ति पर युरेनस का प्रभाव होता है या राहू का? अंक 7 से प्रभावित व्यक्ति पर नेपच्यून का प्रभाव होता है या केतु का? इसका उत्तर है, ना राहू-केतु का, और ना युरेनस- नेपच्यून का. क्यों कि प्रभाव तो केवल अंकों के व्हायब्रेशन्स का ही होता है, न कि किसी ग्रह गोल का.

ज्योतिषियों ने ग्रहों को जो अंक दिए है वह सौर मंडल में ग्रहों का जो क्रम है उसके अनुसार नहीं है. इसका मतलब यही होता है कि जिस ग्रह के गुणदोष जिस अंक के गुण दोषों के समान दिखाई देते हैं, वही अंक उस ग्रह को दिया गया है.

आशा है, आप इस बात को समझ गए होंगे.

अंक और ग्रह

मजे कि बात यह कि अंकों पर ग्रहों का प्रभाव बतानेवाले लोग ‘अंक और ग्रह’ इस बात तक ही सीमित रह गए. यह लोग केवल इतना ही उल्लेख करते हैं, उसके बारे में विस्तार से कुछ नहीं कह सकते. ना ही यह लोग अंकों पर राशियों के और नक्षत्रों के प्रभाव के बारे में कुछ बोलते है. यह तो ‘पंडित की दौड मंदिर तक’ या ‘मुल्ला की दौड मस्जिद तक’ वाली बात हो गयी!

सोचने वाली बात यह है कि हर राशी का, हर नक्षत्र का एक अंक (स्थान) होता है, जैसे कि मेष राशी पहले स्थान पर है, वृषभ राशि दुसरे स्थान पर है, मीन राशि 12 वे स्थान पर है आदि, लेकिन अंकों की कोई राशि नहीं होती है.

अंकशास्त्र के अनुसार गणित और विश्लेषण करते समय कहीं भी ग्रहगोल, व्यक्ति के जन्म के समय कुंडली में ग्रहों का स्थान, ग्रहों का वर्तमान समय में स्थान आदि का बिलकुल विचार नहीं किया जाता. ऐसा विचार करने जरुरत ही नहीं पड़ती, क्यों कि वास्तव में अंकशास्त्र और ग्रहों का, अंकशास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का कोई संबंध ही नहीं है.

इसके उलटे ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के स्थानों का विचार किया जाता है. यहां स्थान का अर्थ अंक ही होता है. जैसे पहला स्थान, दूसरा स्थान आदि. इसका मतलब तो यही हो गया ना, कि बिना अंकों के ज्योतिषशास्त्र कोई मायने नहीं रखता. इसके उलटे, जैसा कि मैंने ऊपर कहा है, अंकशास्त्र के अनुसार गणित और विश्लेषण करते समय कहीं भी ग्रहगोल, ज्योतिषशास्त्र आदि का विचार नहीं जाता, बल्कि केवल अंकों का ही विचार किया जाता है.

अंक और ग्रह

अब आखरी बात…… पायथागोरस दुनिया के महानतम गणितीयों से एक थे. उनके गणित और ज्यामिति से संबंधित सिद्धांत आज भी छात्रों को पढाये जाते है. यह पायथागोरस आधुनिक अंकशास्त्र के जनक थे. उन्होंने कहा था, Numbers rule the universe. (अंक यूनिवर्स को संचालित करते हैं). उन्होंने All is Number ऐसा भी कहा था. उनकी इस बात को कोई नकार नहीं सकता, क्यों कि इस विश्व में जो भी कुछ मौजूद है उससे अंक चिपके हुए हैं. चाहे वह यूनिवर्स हो, काल हो, परमाणु हो, फ्रिक्वेन्सी हो, जीन्स, डीएनए हो या फिर दो चीजों की दूरी हो!

(यहां इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंकों का मतलब उनके सिम्बॉल्स नहीं होता है. अंकों का सही मतलब होता है स्थान या संख्या. जैसे कि पहला स्थान, दूसरा स्थान आदि, या एक पेड, दो पेड, तिन पेड आदि.)

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